
बोझ या भार अथवा वजन यह शब्द अनेक अर्थ के लिए प्रयुक्त होता है, हम जिसे बोझ समझतें हैं, उसको ज्यादा समय तक अपने पास नहीं रखतें, क्या है बोझ ? हमारा अपना है या हमने इसे अपना मान लिया है, यह तो हमारें कार्य से पता चलता है, बोझ से उब किसे नहीं होती, सब बोझ से उब जातें हैं और उसे उतारनें में लगें रहतें हैं, व्यवहार में यह शब्द अर्थ से जुड़ा है,गरीबी में यह (बोझ) कर्ज हैं, कर्ज(बोझ को स्वयं से अलग जानकर इस से ) मुक्त होना ही मनुष्य मात्र का फर्ज हैं और परमार्थ के मार्ग में यह (बोझ) केवल कर्तव्य मात्र है, अज्ञान में यह (बोझ) दुःख है, ज्ञान में यह (बोझ) मिथ...