बोझ या भार अथवा वजन

यह शब्द अनेक अर्थ के लिए प्रयुक्त होता है, हम जिसे बोझ समझतें हैं, उसको ज्यादा समय तक अपने पास नहीं रखतें, क्या है बोझ ? हमारा अपना है या हमने इसे अपना मान लिया है, यह तो हमारें कार्य से पता चलता है, बोझ से उब किसे नहीं होती, सब बोझ से उब जातें हैं और उसे उतारनें में लगें रहतें हैं, व्यवहार में यह शब्द  अर्थ से जुड़ा है,गरीबी में यह (बोझ) कर्ज हैं, कर्ज(बोझ को स्वयं से अलग जानकर इस से ) मुक्त होना ही मनुष्य मात्र का फर्ज हैं और परमार्थ के मार्ग में यह (बोझ) केवल कर्तव्य मात्र है, अज्ञान में यह (बोझ) दुःख है, ज्ञान में यह (बोझ)  मिथ्या है, लेखन में यह (बोझ) शब्द है, अर्थ में यह (बोझ) भाव है, अर्थात जो सरल होता है, जिसके लिए प्रबंध की आवश्यकता नहीं होती, अपने आप देश, काल और वस्तु के अनुरूप वातावरण (संसार) और व्यवहार ( जड़ और चेतन का व्यापार)  क्रियाशील (कार्य करतें हुयें प्रतीत) होतें हैं, ऐसे में जिसे इस बात का ज्ञान रहता है, वह ज्ञानी पुरुष इस वातावरण और व्यवहार को कल्पित मानता है और जिसको मानव तन मिला और  जो कुछ करनें का सामर्थ्य रखता है, उसके पास परिस्थितियों से निपटने का ज्ञान न होने पर भी, ऐसा मनुष्य इस संसार और संसार में हो रहें व्यवहार को कभी प्रतिकूल और कभी अनुकूल  समझता है तथा स्वयं यहाँ कर्जदार के रूप में रहता है और अपना कर्ज उतारनें के लिए यथा संभव, अपने कार्यों को करता रहता है, यह सब वह अपना धर्म समझकर करता है, जिसके पास मनुष्य शरीर तो है, पर कुछ कर नहीं सकता और परिस्थियाँ भी जिसका साथ नही देती, तो अज्ञान में ही रहता है तथा इस संसार एवं संसार के व्यवहार को दुःख रूप जानकर हर बात पर अपने दर्द को उजागर करता है, इस से ज्ञात होता है- ऐसा मनुष्य करनें योग्य काम भी करनें से वंचित रहता है, जो मानव तन पाकर संसार और संसार के व्यवहार को समझने में लगा है, ऐसे मनुष्य के पास संसार और संसार के व्यवहार का परिस्थितिजन्य ज्ञान रहता है, ऐसा मनुष्य अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही रूपों में अपने दिमाग को सक्रिय रखता है और हर बात को नये नये शब्द देकर, शब्दों के आधार पर कभी कल्पना का महल खड़ा कर लेता है, तो कभी उस महल को जलाकर राख कर देता है अर्थात ऐसे मनुष्य के लिए संसार और संसार का व्यवहार एक शब्द जाल है, इसमें  भाव और अर्थ का रूप बार बार बदलता है, कभी कभी तो अर्थ शून्य दशा भी बन जाती है,  ऐसा मनुष्य अपना हर काम शब्द जाल के माध्यम से कर लेता है|  

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